मजाल गर जो हो तुम्हारी
रोया न करो तुम, न मचलो, रास्तों की बातों पर।
रास्ते अंधे हैं, इख़लास दिखनी बंद हो चुकी है उन्हें।
रोना, चिल्लाना, गालियाँ तक देना तुम उन्हें
जब गर्म रहो आगोश में मेरे, जब कोई न देख रहा हो।
रास्तों में तुम्हारी झुकी हुई नज़र,
मुझसे देखी जो न जाएगी।
Comments
Post a Comment