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Showing posts from 2024

मजाल

मजाल  गर जो हो तुम्हारी रोया न करो तुम, न मचलो, रास्तों की बातों पर। रास्ते अंधे हैं, इख़लास दिखनी बंद हो चुकी है उन्हें। रोना, चिल्लाना, गालियाँ तक देना तुम उन्हें जब गर्म रहो आगोश में मेरे, जब कोई न देख रहा हो। रास्तों में तुम्हारी झुकी हुई नज़र, मुझसे देखी जो न जाएगी।

खांचे

मग़ज़ खांचों को निलाम कर दी हमने                                                           फुर्सतों में कमबख्त फिर भी सोचना पड़ता है